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भारत में पहली बार गौ माता के पांच गव्यों -दूध, छाछ, घृत, गोमय और गौमूत्र को सिद्ध रूप में बनने वाले गव्यसिद्धों द्वारा स्थापित प्रकल्प की अद्भुत देन है गौअमृतम।
आयुर्वेद में वर्णित पंचमहाभूत – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश को गौ माता के पंचगव्यों द्वारा संतुलित करके स्वास्थ्य वर्धन की कल्पना है गौअमृतम।
इसी श्रृंखला को प्रारम्भ करते हुए अग्नि रूपी महाभूत जो पूरे पाचन तंत्र को सम रखता है ,को गौ घृत के विशुद्धतम स्वरूप में आम जनमानस तक पहुचाने का छोटा प्रयास है गौअमृतम गंगातीरी मथनी घृत।
गौअमृतम मथनी घृत के माध्यम से ना सिर्फ अग्नि महाभूत संतुलित रहेगा अपितु इस प्रकल्प के माध्यम से विलुप्त हो रही गंगा तीरी गाय को पुनसंवर्धन करके बचाने का मुख्य उद्देश्य है गौअमृतम।
स्वर्गीय राजीव भाई जी दीक्षित द्वारा बताए गौ माता के महत्व और गुरुजी निरंजन वर्मा जी द्वारा सिखाई गव्यों की विद्या के माध्यम से शुद्धतम स्वरूप में गव्यों को उपलब्ध कराने के लिए गौअमृतम सदैव भारत के लोगों के लिए समर्पित प्रकल्प है।
गौअमृतम टीम:
गंगातीरी गौ माता जी इस प्रकल्प की मुख्य मार्गदर्शिका और आधार हैं। निम्लिखित नाम इस प्रकल्प में सिर्फ निमित्त मात्र बने हैं जो उनकी सेवा करके अपने जीवन की मोक्ष प्राप्ति के लिए एक बेहद छोटा प्रयास कर रहे हैं।